जीव जगत 11th क्लास प्रश्न उत्तर | Jeev Jagat Question Answer 11th Biology

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जीव जगत 11th क्लास प्रश्न उत्तर 

जीव जगत 11th क्लास प्रश्न उत्तर | Jeev Jagat Question Answer 11th Biology


 

जीव जगत 11th क्लास प्रश्न उत्तर 


जीव विज्ञान का अर्थ 

"जीव विज्ञान" का अर्थ है - जीवन का अध्ययन (Study Of Life) अर्थात इस विषय के अन्तर्गत सभी सजीव तथा जीवों के समस्त पहलुओं का क्रमबद्ध, गहन एवं सूक्ष्म अध्ययन किया जाता है। जीव विज्ञान का जनक (Father Of Biology) अरस्तू को माना जाता है।  

बायलोजी' (जीवविज्ञान) शब्द का प्रयोग सबसे पहले लैमार्क और ट्रेविरेनस (Trivirenus) नाम के वैज्ञानिकों ने 1801 में किया।

 

जीवविज्ञान " BIOLOGY " : शब्द की ग्रीक भाषा के शब्द " बायोस" (bios) तथा "लोजिया" (logos ) " से मिल कर हुआ है , जिसमें "Bios" (बायोस ) का अर्थ Life (जीवन) तथा लोजिया" (logos) का अर्थ है Study (अध्ययन ) ।

 

वनस्पति विज्ञान का जनक "थियोफ्रेस्टस " को माना जाता है।

 

सजीव में पाए जाने वाले प्रमुख अभिलक्षण क्या है 

1 उपापचय (Metabolism) 

सभी जीवधारियों को कोशिका अथवा कोशिकाओं में होने वाली सम्पूर्ण रासायनिक प्रतिक्रियाओं को उपापचय कहते हैं। उपापचय के अन्तर्गत रचनात्मक एवं विघटनात्मक दोनों प्रकार की प्रक्रियाएँ आती है जब वृद्धि एवं मरम्मत (Repairing) हेतु भोजन से प्राप्त पोषक पदार्थों से जीव पदार्थ के जटिल घटकों का संश्लेषण होता है तब इस प्रक्रिया को उपचयन या एनाबॉलिज्म (Anabolism) कहते हैं। दूसरी ओर जब विभिन्न जैविक क्रियाओं हेतु आवश्यक ऊर्जा के उत्पादन हेतु पोषक पदार्थों का दहन होता है तब इस प्रक्रिया को अपचयन या कैटाबॉलिज्म (Catabolism) कहते हैं। सजीव कोशिकाओं में उपर्युक्त दोनों प्रक्रियाएँ साथ-साथ होती रहती हैं।

 

2 वृद्धि (Growth) 

सभी जीवधारियों में वृद्धि करने की सामर्थ्य पायी जाती है। जैविक तन्त्रों में कोशिका विवर्धन (Enlargement) अथवा कोशिका विभाजन अथवा दोनों के द्वारा जीवद्रव्य की मात्रा में वृद्धि होती है जिससे आयतन बढ़ता है। यह प्रक्रिया वातावरण से प्राप्त पोषक पदार्थों के समावेशन पर निर्भर करती है। इस प्रकार की वृद्धि को आत्मसात्करण (Intussusception) कहते हैं। 

 

3 प्रजनन (Reproduction) 

सभी जीवधारी एक निश्चित वृद्धि के उपरान्त बहुगुणन करते हैं। बहुगुणन की इस प्रक्रिया को प्रजनन कहते हैं। इस प्रकार जनन क्रिया पहले से विद्यमान जीवों से अपनी ही तरह के नये जीवों को उत्पन्न करने की क्रिया है। प्रजनन का उद्देश्य जाति की निरन्तरता बनाये रखना तथा जाति के व्यष्टियों (Individuals) की संख्या में वृद्धि करना होता है।

 

4 पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता 

सभी जीवों का सबसे स्पष्ट परंतु पेंचीदा अभिलक्षण अपने आस-पास तह या पर्यावरण के उद्दीपनों, जो भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक हो सकती हैं, होती के प्रति संवेदनशीलता तथा प्रतिक्रिया करना है।

 

जैव विविधता का अर्थ: 

यह किसी विशेष क्षेत्र या आवास में पाए जाने वाले जीवों (पौधों, जानवरों और सूक्ष्म जीवों) की विविधता को संदर्भित करता है। किसी विशेष क्षेत्र में बड़ी संख्या में पाए जाने वाले जीवों की उपस्थिति जैव विविधता कहलाती है

 

जैव विविधता (Biodiversity) से तात्पर्य

 

किसी भी निश्चित प्रकृति क्षेत्र में पाए जाने वाले जीव जंतुओं तथा पेड़ पौधों की अनेक प्रजातियों की विविधता तथा संख्या को उस स्थान विशेष की जैव विविधता (Biodiversity ) कहते हैं। जैव विविधता को बदला नहीं जा सकता क्योंकि एक जाति, विशेष आवास में रहते हुए उनकी अभ्यस्त हो चुकी है।

 

नामकरण के अन्तर्राष्ट्रीय नियम कौन बनाता है 

जीवों के वैज्ञानिक नामकरण से सम्बन्धित नियम " वानस्पतिक नामकरण की अन्तर्राष्ट्रीय संहिता" (International Code of Botanical Nomenclature, ICBN) तथा

'जन्तु नामकरण की अन्तर्राष्ट्रीय संहिता' (International Code of Zoological Nomenclature, ICZN) द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।

 

द्विनाम पद्धति (Binomial nomenclature) क्या है ?

द्विनाम पद्धति (Binomial nomenclature) जीवों (जंतु एवं वनस्पति) के नामकरण की पद्धति है। 1753 ईस्वी में प्रसिद्ध वैज्ञानिक कैरोलस लिनिअस ने इसका प्रतिपादन किया। इसके अनुसार दिए गए नाम के दो अंग होते हैं, जो क्रमशः जीव के वंश (जीनस) और जाति (स्पीशीज) के द्योतक हैं। जैसे एलिअम सेपा’ (प्याज)। यहाँ एलिअमवंश को और सेपाजाति को सूचित करता है।

 

द्वीनामकरण पद्धति के नियम 

1. जैविक नाम प्रायः लैटिन भाषा में होते हैं और तिरछे अक्षरों में लिखे जाते हैं। इनका उद्भव चाहे कहीं से भी हुआ हो। इन्हें लैटिनीकरण अथवा इन्हें लैटिन भाषा का व्युत्पन्न समझा जाता है। 

2. जैविक नाम में पहला शब्द वंशनाम होता है जबकि दूसरा शब्द जाति संकेत पद होता है। 

3. जैविक नाम को जब हाथ से लिखते हैं तब दोनों शब्दों को अलग अलग रेखांकित अथवा छपाई में तिरछा लिखना चाहिए। यह रेखांकन उनके लैटिन उद्भव को दिखाता है। 

4. पहला अक्षर जो वंश नाम को बताता है, वह बड़े अक्षर में होना चाहिए जबकि जाति संकेत पद में छोटा अक्षर होना चाहिए। मैंजीफेरा इंडिका के उदाहरण से इसकी व्याख्या कर सकते हैं। 

5 जाति संकेत पद के बाद अर्थात् जैविक नाम के अंत में लेखक का नाम लिखते हैं। और इसे संक्षेप में लिखा जाता है। उदाहरणतः मैंजीफेरा इंडिका (लिन)। इसका अर्थ है बसे पहले स्पीशीज का वर्णन लीनियस ने किया था।

 

वर्गीकरण के उद्देश्य 

(1) वर्गीकरण जीवों की विशाल विविधता (Great (diversity) के अध्ययन तथा उनमें प्राकृतिक सम्बन्धों को म सहायता प्रदान करता है। 

2)वर्गीकरण विभिन्न जीवों के अध्ययन को सरल बनाता है। इसके द्वारा विभिन्न जीवों के नाम, उनकी समानताओं, उनकी असमानताओं, उनके सम्बन्धों आदि के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। 

(3) वर्गीकरण द्वारा किसी जीव की पहचान होती है तथा जीव जगत में उस जीव को निश्चित स्थान प्रदान करने में सहायता मिलती है। 

(4) प्रत्येक वर्ग के केवल कुछ ही प्रतिनिधियों (Representatives) का अध्ययन हमें उस वर्ग के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देता है अर्थात् सभी जीवों के बारे में हर एक बात जानना आवश्यक नहीं है केवल वर्ग के लक्षणों से उस वर्ग के सभी सदस्यों के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है।

(5) वर्गीकरण जीवों के विभिन्न वर्गों की विकासीय प्रवृत्ति को समझने में सहायक होता है। 

(6) वर्गीकरण विज्ञान की अन्य शाखाओं के विकास के लिए आधार बनाता है; जैसे-जीव भूगोल (Bio-geography) वर्गीकरण द्वारा प्रदान की गयी सूचना पर पूर्णतः निर्भर है। इसी प्रकार, वर्गीकरण विज्ञान की अन्य शाखाओं की प्रगति में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

वर्गीकरण (Classification) किसे कहते हैं ?

इसके अन्तर्गत जीवों को विभिन्न वर्गों अथवा समूहों में क्रमानुसार रखा जाता है।

 

वर्गिकी (Taxonomy) किसे कहते हैं ?

इसके अन्तर्गत विभिन्न जीवों के वर्गीकरण, नामकरण (Nomenclature) तथा पहचानने में विधियों एवं नियमों (सिद्धान्तों) का अध्ययन किया जाता है।

 

वर्गीकरण विज्ञान (Systematics) किसे कहते हैं ? 

इसके अन्तर्गत जीवों की विविधता और उनके तुलनात्मक एवं विकासात्मक lutionary) सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है, जो जीवों के तुलनात्मक आकारिकी (Morphology). शारीरिकी (Anatomy), पारिस्थिकी (Ecology), कार्यिको (Physiology) एवं जैव रसायन (Bio-chemistry) लक्षणों पर आधारित होते हैं। 

वर्गक (taxon) किसे कहते हैं ? 

वर्गीकरण की किसी भी श्रेणी का प्रतिनिधित्व करने वाले वास्तविक जीव वर्गक टेक्सॉन (बहुवचन टेक्सा) कहलाते हैं। जैसे बंगाल टाइगर प्रजाति श्रेणी का, मछली वर्ग श्रेणी का, चमगादड़ ऑर्डर श्रेणी का व बिल्ली कुल श्रेणी के वर्गक हैं।

 

वर्गिकी संवर्ग या वर्गिकीय पदानुक्रम 

किसी जीव विशेष को जीवों की व्यवस्था में एक उपयुक्त स्थान प्रदान करना हो वर्गिकी विज्ञान का प्रमुख उद्देश्य है। इस व्यवस्था को ही वर्गिकीय पदानुक्रम (Tasmeomic ferarchy) कहते हैं। वर्गीकरण में प्रत्येक जीव को उचित स्थान प्रदान करने के लिए सात प्रमुख श्रेणी निर्धारित की गई है। किसी भी श्रेणी (Rank) अथवा इकाई (Unit) के जीव समूह को वर्गक (Taxon or कहते हैं। एक वर्गीक के सभी सदस्यों के लक्षण समान होते हैं जो अन्य वर्गक के लक्षणों से भिन्न होते हैं।

 

सभी ज्ञात जीवों के वर्गिकीय अध्ययन से सामान्य संवर्ग जैस जगत (किंगडम), संब (फाइलम), अथवा भाग (पौधों के लिए), वर्ग (क्लास), गण (आर्डर), कुल (फैमिली), वंश (जीनस) तथा जाति (स्पीशीज) का विकास हुआ। पौधों तथा प्राणियों दोनों में स्पीशीज सबसे निचले संवर्ग में आती है।

 

जीव जगत 11th क्लास प्रश्न उत्तर | Jeev Jagat Question Answer 11th Biology


 

(1) जाति (Species) - 

यह वर्गीकरण की प्रारम्भिक, सबसे छोटी तथा मूलभूत इकाई है। जॉन रे (John ray) के अनुसार, एक ही जनक से जन्मे जीव एक जाति के होते हैं। मेयर (Mayer) के अनुसार, लैंगिक प्रजनन अथवा अन्तरा - प्रजनन (Interbreeding) द्वारा सन्तान उत्पन्न करने वाले जीव एक ही जाति के होते हैं। लिनियस (Linnaeus) के अनुसार, जाति ऐसे जीवों का समूह है जो बाह्य आकृति में समान लक्षण वाले होते हैं तथा ये स्वतन्त्र रूप से प्रजनन कर अपने जैसे अन्य जीवों को उत्पन्न कर सकते हैं। एक वंश में एक से अधिक जातियाँ हो सकती हैं। आधुनिक वर्गिकी में उप-जाति (Sub-species) उप-उप-जाति (Sub-sub-species) जैसे वर्गकों का भी प्रयोग होता है।

 

(2) वंश (Genus) -

कई जातियों के जीव जब आवश्यक लक्षणों में समान होते हैं तो वंश बनाते हैं। इनमें लैंगिक लक्षण समान होते हैं परन्तु कायिक (Somatic) लक्षणों में अन्तर हो सकता है; जैसे-बरगद, पीपल, अंजीर में एक-दूसरे के स्वभाव, पत्ती का आकार, गठन व आकृति में भिन्न हो सकते हैं परन्तु इनमें पुष्प, फल व बीज की रचना समान होती है। अतः इन सबको एक ही वंश फाइकस (Ficus ) में रखा गया  है। एक वंश में एक जाति अथवा अनेक जातियाँ हो सकती हैं।

 

2 कुल (Family) 

अनेक वंश जो समान लक्षणों युक्त होते हैं, कुल बनाते हैं। कुल के वंशों में अधिकांश लक्षणों के मध्य प्राकृतिक सह-सम्बन्ध होते हैं, उदाहरण के लिए, जन्तुओं में शेर, तेन्दुआ, चौता एवं बिल्ली जो दो वंशों पँथेरा (Panthera) एवं फैलिस (Felis) के  अन्तर्गत आते हैं। उनको एक ही कुल फॅसिडी (Felidae) में रखा गया है।

 

(4) गण (Order) - 

अनेक कुलों के समान लक्षणों के आधार पर गण (Orders) बनाये जाते हैं। यह वर्गीकरण का मुख्य भाग है। इसके प्रत्यय (Suffix) एल्स (ales) होता है। उदाहरण के लिए, पेराइटेल्स गण (Order-Parietales) के अन्तर्गत ग्रेसीकेसी Brassicaceae), पेपेवरेसी (Papaveraceae), कैपेरिडेसी (Capparidaceae) कुलों को रखा गया है।।

 

(5) वर्ग (Class) – 

अनेक गणों के समान लक्षणों के आधार पर वर्ग (Class) बनाये जाते हैं। उदाहरण के लिए, स्तनपोषी Mammalia) वर्ग के अन्तर्गत प्राइमेटा (Primata), कार्निदोरा (Carnivora) आदि गण रखे गये हैं।

 

(6) संघ अथवा प्रभाग (Phylum Division)- 

पादयों में संघ (Phylum) के स्थान पर प्रभाग (Division) प्रयोग करते अनेक वर्गों (Classes) में समानता के आधार पर जन्तुओं में संघ (Phylum) एवं पादपों में प्रभाग (Division) बनाए जाते हैं।

 

(7) जगत (Kingdom) - 

यह वर्गीकरण की सबसे बड़ी इकाई है अर्थात् पदानुक्रमिक वर्गीकरण में जगत उच्चतम वर्गक ghest [taxon) होता है। यह जीवों का सबसे बड़ा समूह होता है। विभिन्न संघों के सभी जन्तुओं को एक अलग जगत एनिमेलिया में रखा गया  है तथा पौधों के सभी प्रभागों को जगत प्लाण्टी में रखा गया है।

 

वर्गीकरण विज्ञान के अध्ययन के साधन [TOOLS FOR STUDY OF TAXONOMY] 

किसी जाति को पहचान का अर्थ वर्गक (Taxon) को ज्ञात करना है। वर्गक की पहचान अन्य वर्गकों (Taxa) से समानताओं भिन्नताओं के आधार पर की जा सकती है। वर्गक की पहचान वर्गक के किसी अन्य प्रतिदर्श (Specimen) के साथ तुलना करके सकती है जिसे पहले ही पहचाना जा चुका है या उसे हर्बेरियम में संरक्षित कर लिया गया है। पादप की पहचान के लिए उस की पहचान भी अत्यन्त आवश्यक है जिस कुल का वह पादप है। पादप (वर्गक) या कुल की पहचान हर्बेरिया, संग्रहालयों, म कुजियों, वर्गिकी साहित्य आदि के द्वारा भी की जा सकती है। अतः वर्गीकरण सम्बन्धी अध्ययनों में सहायता हेतु निम्नांकित बिन्दु दुओं पर गौर करना आवश्यक है-

 

(1) वनस्पतिशाला अथवा हर्बेरियम (Herbarium). 

(2) वानस्पतिक उद्यान (Botanical gardens), 

(3) संग्रहालय (Museums) 

(4) चिड़ियाघर अथवा जन्तु उद्यान (Zoological parks)

 

वनस्पतिशाला अथवा हरबेरियम (Herbarium) 

हर्बेरियम पौधों का ऐसा संग्रह है जिसमें पौधों को सुखाकर, दबाकर कागजों (Sheets) पर, वर्गीकरण की किसी मान्य पद्धति अनुसार क्रमबद्ध करके भविष्य में (सन्दर्भ के लिए) अध्ययन हेतु रखा जाता है तथा वे स्थान जहाँ तैयार हर्बेरियम शीर्टी को क्षत रखा जाता है, हवेरिया (Herbaria) कहलाते हैं।"

 

वानस्पतिक उद्यान (Botanical Gardens) 

वर्गिकी के अध्ययन में वानस्पतिक उद्यानों का विशेष महत्त्व है। इनमें उगाई जाने वाली पादप जातियों को पहचान तथा वर्गीकरण के लिए प्रयोग किया जाता है। वानस्पतिक उद्यानों में उष्णकटिबन्धीय (Tropical) एवं शीतोष्ण (Temperate) क्षेत्रों के पौधों को लगभग प्राकृतिक दशाओं में उगाया जाता है। इसमें विभिन्न कुलों के पौधे एक वर्गीकरण पद्धति के अनुसार व्यवस्थित होते हैं। 

राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान, लखनऊ (भारत) [National Botanical Garden, Lucknow (India)] में है । 

 

संग्रहालय (Museums)  

संग्रहालय (Museums) वे स्थान हैं जहाँ प्रदर्शनी (Exhibition), अध्ययन एवं सन्दर्भ हेतु पादपों एवं जन्तुओं के संरक्षित प्रतिदर्शों का संग्रह किया जाता है। प्रतिदर्शों का संग्रह किसी क्षेत्र-विशेष के आवास एवं जीवों के बारे में सूचना एकत्र करने में सहायक होता हैं। संग्रहालय में ऐसे पादपों को संरक्षित किया जाता है जिनको हर्बेरिया में नहीं रखा जा सकता है; जैसे- शैवाल, कवक, मॉस, नग्नबीजियों (Gymnosperms) के भाग आदि।

 

चिड़ियाघर अथवा जन्तु उद्यान अथवा जन्तु पार्क (Zoo or Zoological Parks) 

चिड़ियाघर अथवा जन्तु उद्यान वे प्राकृतिक क्षेत्र हैं जहाँ पर वन्य जीव रखे जाते हैं। इनमें हमें वन्य जीवों की मानव की देखरेख में आहार-प्रकृति तथा व्यवहार सीखने का अवसर प्राप्त होता है। चिड़ियाघर में सभी जन्तुओं को उनके प्राकृतिक आवासों वाली परिस्थितियों में रखने का प्रयास किया जाता है। 

इन स्थानों पर बाहर से आने वाली दुर्लभ जातियों की रक्षा की जाती है तथा उन्हें उचित प्रकार का भोजन दिया जाता है। इन उद्यानों में संकटापन्न स्थिति में पहुँच चुके जीवों में प्रजनन भी कराया जाता है जिससे उस जाति को विलुप्त होने से बचाया जा सके। यहाँ पर जन्तुओं की आवास, भोजन, व्यवहार सम्बन्धी आदतों का अध्ययन प्राकृतिक वातावरण में किया जा सकता है। 

संग्रहालय एवं जन्तु उद्यान दोनों ही जन्तुओं की जानकारी प्राप्त करने में सहायक होते हैं तथा इनका एक कार्य जीवों के प्रति रुचि उत्पन्न करना भी है।

 

वर्गीकरण  में कुंजी किस प्रकार सहायक है ? 

कुंजी एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा विभिन्न वर्गों में स्थित प्रत्येक प्रकार के जीव की पहचान की जा सकती है। वैज्ञानिक जीवों की पहचान उनके गुणों के आधार पर बनाई गई कुंजी (keys) से करते हैं। कुंजी (key) पौधों तथा जन्तुओं के समान तथा असमान गुणों के आधार पर बनाई जाती है। वर्गिकी कुंजी (taxonomic key) दो विपरीत लक्षणों पर आधारित होती है। इनमें से एक को स्वीकार किया जाता है जबकि दूसरे को अस्वीकृत कर दिया जाता है। कुल, वश तथा जाति के लिए अलग-अलग कुंजी का उपयोग किया जाता है।


सजीवों के सन्दर्भ में साम्यावस्था का क्या अर्थ है ?

सजीवों सहित सभी खुले तंत्रों (open system) में एक स्वनियामक (self- regulatory) पद्धति होती है। यह पद्धति साम्यावस्था की स्थिति बनाये रखती है। 

सभी जीवों में अपनी 'आन्तरिक स्थितियों' की यथास्थिति बनाये रखने की प्रवृत्ति होती है ताकि बाह्य पर्यावरण में परिवर्तन होने पर भी उनकी कोशिकाओं में उपापचय निर्वाध रूप से जारी रहे। कोशिकीय कार्यों के सम्पादन हेतु आन्तरिक यथास्थिति को बनाये रखना आवश्यक होता है। 

उदाहरण के लिए, अधिक गर्मी होने पर पसीना आना तथा इसके वाष्पोत्सर्जन द्वारा शरीर का ताप कम हो जाना तीव्र शारीरिक श्रम के बाद हृदय गति, रक्त चाप, श्वसन दर आदि का बढ़ना तथा साम्यावस्था प्रवृत्ति के कारण पुनः सामान्य स्थिति में आ जाना।

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