कक्षा 12वी हिन्दी: रुबाइयाँ गजल प्रश्न उत्तर
कक्षा 12वी हिन्दी: रुबाइयाँ गजल प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है ?
उत्तर- शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह से कहा है। कवि का तात्पर्य है, काली पदाओं के बीच चमकती बिजली जितनी आकर्षक लगती है बहनें भी भाई के हाथों में वैसी चमकीली, आकर्षक और राखी बांधना चाहती हैं।
प्रश्न 2. खुद का परदा खोलने से क्या आशय है ?
उत्तर- खुद का पर्दा खोलने से कवि का आशय है बुराई करने वाले निंदक कवि की कमियों और दोषों को उजागर करते समय यह विवेक खो जाते हैं कि इस कृत्य से उनके स्वयं की स्वभावगत प्रवृत्ति, निंदा करने वह सबको मालूम पड़ जाएगा कि ये निंदक, ईयांलु और ओछी मानसिकता के हैं।
प्रश्न 3. " किस्मत हमको से लेते हैं, हम किस्मत को रो ले हैं" इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तनातनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए।
उत्तर- "किस्मत हमको रो लेवे हैं, हम किस्मत को रो ले हैं" पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि सामान्यतः असफल लोग अपनी असफलता का ठीकरा किस्मत पर फोड़ते हैं न कि अपने प्रयासों की कमी को देखते हैं। अतः किस्मत उन लोगों की अकर्मण्यता पर रोती है।
टिप्पणी करें
(क) गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता।
(ख) सावन की घटाएँ व रक्षाबंधन का पर्व
उत्तर
(क) गोदी का चाँद अर्थात् माँ का लाड़ला, नन्हा बालक, जो गगन के चाँद की तरह गोल मुख का, श्वेत रंग का मनमोहक है।
(ख) सावन की घटाएँ सबको हरियाली की खुशियों के साथ प्रकृति (धरती) के सूखेपन को दूर कर उन्नति का संदेश देती है। रक्षाबंधन का पर्व सावन के माह में इन्हीं खुशियों के साथ रिश्तों की दूरियाँ मिटाकर भाई-बहन में रिश्तों को मजबूती का संदेश देता है।
कविता के आस-पास प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. इन रुबाइयों से हिन्दी, उर्दू और लोकभाषा के मिले-जुले प्रयोगों को छाँटिए।
उत्तर- हिन्दी के प्रयोग-
1. आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को बड़ी हाथों में सुलाती है उसे गोद भरी
2. गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी
3. किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
4. दीवाली की शाम घर पुते और सजे
5. रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली
6. छायी है घटा गगन की हलकी हलकी
7. बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे
8. भाई के है बाँधती चमकती राखी।
उर्दू के प्रयोग-
1. उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके।
2. देख आईने में चाँद उत्तर आया है।
लोकभाषा के प्रयोग-
1. रह-रह के हवा में जो लोका देती है।
2. जब घुटनियों में ले के हैं पिन्हाती कपड़े।
3. आँगन में उनक रहा है जिदयाया है।
4. बालक तो हई चाँद पे ललचाया है।
आपसदारी
कविता में एक भाव, एक विचार होते हुए भी उसका अंदाजे बयाँ या भाषा के साथ उसका बर्ताव अलग-अलग रूप में अभिव्यक्ति पाता है। इस बात को ध्यान रखते हुए नीचे दी गई कविताओं को पढ़िए और दी गई फ़िराक की गज़ल/रुबाई में से समानार्थी पंक्तियाँ दृढ़िए।
(क) मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहाँ।
(ख) वियोगी होगा पहला कवि -सूरदास
आह से उपजा होगा गान
उमड़ कर आँखों से चुपचाप
बही होगी कविता अनजान- सुमित्रानंदन पंत
(ग) सीस उतारे भुई घरे तब मिलि हैं-कबीर
उत्तर-
(क) आँगन में तुनक रहा है जिदद्याया है।
बालक तो हुई चाँद पै ललचाया है
दर्पण उसे दे के कह रही है माँ
देख आइने में उतर आया है।
(ख) तेरे गम का पासे-अदब है
कुछ दुनिया का खयाल भी है
सबसे छिपा के दर्द के मारे
चुपके-चुपके ले हैं
(ग) ये कीमत भी अदा करे हैं
हम बाती-ए-होशो हवास
तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी हो ले हैं।
रुबाइयाँ गजल महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. फ़िराक की रुबाई के आधार पर माँ द्वारा बच्चे को खिलाने और प्रसन्न करने का दृश्य प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- माँ अपने बच्चे को चाँद का टुकड़ा मानती है। वह उसे अपनी गोदी में लिए आँगन में खड़ी है। कभी वह उसे अपने हाथों पर झुलाती है तो कभी हवा में उछाल देती है। उछलने पर बच्चे के मुँह से प्रसन्नता भरी किलकारी निकल पड़ती है। इस प्रकार यह माँ बच्चे का वात्सल्यपूर्ण दृश्य मनोरम है।।
प्रश्न 2. फ़िराक की गज़ल में प्रकृति को किस तरह चित्रित किया गया है।
उत्तर- फ़िराक की गजल में रस फैलाती कली का तथा रात के सन्नाटे का सुन्दर चित्रण हुआ है। फूलों की कली रस और गंध से भीगी अपनी पंखुड़ियों को खोलकर मानो आकाश में उड़ने चली है। रात का सन्नाटा है। तारे भी आँखें झपकाकर सो गए हैं। ऐसे में केवल सन्नाटा ही बोल पड़ता है।
प्रश्न 3. बालक द्वारा चाँद माँगने की जिद का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर- बालक आकाश में खिले चाँद को देखकर उसे पा लेना चाहता है। वह समझता है कि चाँद भी एक खिलौना है। अतः वह जिद बाँध लेता है। माँ उसे बहलाने के लिए दर्पण में चाँद का प्रतिबिंब दिखलाती है। बच्चा प्रतिबिंब देखकर प्रसन्न हो उठता है।
प्रश्न 4. रुबाइयों के आधार पर घर-आंगन में दीवाली और रक्षाबंधन के दृश्य बिंब को अपने शब्दों में समझाइए ।
अथवा
फ़िराक की रुबाइयों में उभरे घरेलू जीवन के बिंबों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- दीवाली की शाम है। घर का आँगन साफ-सुथरा और सजा सेंवरा है। माँ अपने बच्चे के लिए चीनी मिट्टी के खिलौने सनाती है। उनके बीच एक दिया भी जलाती है। बच्चा इससे प्रसन्न हो उठता है। राखी का दिन है। आसमान में बादलों की घटा छाई है। नन्हीं गुड़िया पाँवों में पाजेब पहने रस की पुतली- सी जान पड़ती है। वह प्रसन्नतापूर्वक भाई की कलाई पर राखी बांध रही है।
प्रश्न 5. फ़िराक की गजल में प्रेम की दीवानगी व्यक्त हुई है-प्रमाणित करें।
उत्तर- फ़िराक की गजल में प्रेम की मस्ती और दीवानगी है। यह दीवानगी भीगी भीगी सूनी रातों में अपनी प्रिया को याद करते हुए व्यक्त होती है। देखिए-
तारे आँखें झपकावे हैं, जर्रा जर्रा सोये हैं
तुम भी सुनो हो यारो! शब में सन्नाटे कुछ बोले हैं।
कवि की दीवानगी के कारण रात का सन्नाटा भी बोलता हुआ जान पड़ता है। वे स्वयं स्वीकार करते हैं कि उन्होंने सोच-समझकर प्रेम की दीवानगी को अपनाया है-
ये कीमत भी अदा कर रहे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो हवास
तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी हो रहे हैं।
प्रश्न 6. सोदाहरण सिद्ध कीजिए कि फ़िराक की रुबाइयों में हिन्दी का घरेलू रूप दिखता है ?
उत्तर- फ़िराक गोरखपुरी उर्दू के शायर हैं। उनकी रुबाइयों को पढ़कर लगता है कि उन्होंने हिन्दी भाषा के लोक प्रचलित रूप का स्वाभाविक प्रयोग किया है। 'चाँद का टुकड़ा', 'लोका लेना', 'कपड़े पिन्हाना' बिल्कुल घरेलू हिन्दी के उदाहरण हैं। उनकी रुबाइयों को पढ़कर कोई अनपढ़ व्यक्ति भी उनका आनंद ले सकता है। कुछ उच्चारण तो बहुत सुंदर बन पड़े हैं। जैसे—'बालक तो हई चाँद पे ललचाया है।" यहाँ 'हई' का उच्चारण बहुत स्वाभाविक और सुंदर है।
प्रश्न 7. फ़िराक की गजल वियोग श्रृंगार से संबंधित है— सिद्ध कीजिए।
उत्तर- फ़िराक की गजल प्रेम के वियोग पक्ष में संबंधित है। वियोग में प्रेमी अपनी प्रेमिका की याद में रोता है और तड़पता है। उसकी आँखें आँसुओं से छलकती है। इस गजल में यही विरह वेदना व्यक्त हुई है।
प्रमाणस्वरूप यह शेर देखिए-
तेरे गम का पासे-अदब है कुछ दुनिया का ख्याल भी है
सबसे छिपा के दर्द के मारे चुपके-चुपके रो ले हैं।
फिराक अपनी गतल के शेरों की चमक के पीछे अपने आँसुओं को ही मनाते हैं। वे कहते हैं-
आवो-ताब अशआर न पूछों तुम भी आँखें रक्खो हो
ये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोते हैं।
प्रश्न 8. पाठ्य पुस्तक में संकलित फ़िराक गोरखपुरी की गज़ल का केन्द्रीय भाव लिखिए।
उत्तर- फिराक गोरखपुरी ने 'गजल' में दर्द व कसक का वर्णन किया है। उसने बताया है कि लोगों ने उसे सदा ताने दिए हैं। उसकी किस्मत हमेशा उसे दगा देती रही है। दुनिया में केवल गम ही था जो उसके पास रहा। उसे लगता है, जैसे रात के सन्नाटे में कोई बोल रहा है। इश्क के बारे में शायर का कहना है कि इश्क वही पा सकता है जो अपना सब कुछ दांव पर लगा दे। कवि की गजलों पर मीर की गजलों का प्रभाव है। यह गजल इस तरह बोलती है जिसमें दर्द भी है, एक शायर की उसक भी है और साथ ही है काव्यशिल्प की वह ऊँचाई, जो गतल की विशेषता मानी जाती है।
प्रश्न 9. नीचे लिखे काव्य खण्ड को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें ।
मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं।
(क) कविता का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ख) काव्यांश की भाषा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ग) परदा खोलना' का प्रयोग सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(क) कविता का भाव यह है कि जो कवि की बुराई दूसरों से कर रहे हैं, वे बुराई करते हुए अपनी कमियाँ स्वयं प्रकट कर रहे हैं। इस प्रकार वे अपनी निंदा खुद ही कर रहे हैं। (ख) काव्यांश की भाषा विशेषताएँ-
1. गजल छंद है।
2. प्रवाहमयी उर्दू का प्रयोग है।
(ग) परदा खोलना की पुनरुक्ति से गजल का भाव सौंदर्य बढ़ गया है। यहाँ निंदा करने वाले कवि का परदा खोलना चाहते हैं कवि की बुराई करना चाहते हैं पर इससे उनकी खुद की बुराई उजागर होती जा रही है।