उषा कविता के प्रश्न उत्तर | 12th Hindi Usha question Answer

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उषा कविता के प्रश्न उत्तर 

उषा कविता के प्रश्न उत्तर | 12th Hindi Usha question Answer


 

उषा कविता के प्रश्न उत्तर 

प्रश्न 1. कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि 'उषाकविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द चित्र है ? अथवा 

'उषाकविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द-चित्र है। सोदाहरण प्रतिपादित कीजिए। 

अथवा 

'उषाकविता में 'सिलऔर 'स्लेटके माध्यम से कवि श्री शमशेर बहादुर सिंह जी ने किस प्रकार अपने मंतव्य को प्रकाशित किया है लिखिए। 


उत्तर - 

कविता के सभी उपमानों को देखकर कहा जा सकता है कि उषा कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द चित्र हैजैसे- 

1. शंख का नीला रंगगाँव का नदी किनारे धार्मिक स्थलों में प्रातःकालीन पूजन से। 

2. ग्रामीण रसोईघर में भोजन पकाने के लिए चूल्हा का उपयोग किया जाता है और भोजन पकने के पश्चात् चूल्हे की राख से ही उसे लीप दिया जाता हैशहरों में चूल्हा नहीं होता है। 

3. काली सिल पर केसर पीसने का कार्य गाँवों में ही होता है। शहरों में सिल का स्थान मिक्सी ने ले लिया  है।

4. स्लेट पर खड़िया से लिखना ग्रामीण विद्यालयों में ही होता है। शहरों के विद्यालयों में स्लेट की जगहकॉपी ने ले ली है। 

 5. नीले जल में स्नान द्वारा गौर वर्ण की झिलमिल भी गाँव में देखने को मिलेगी। शहरों में नदी / तालाब की जगह बाथरूम ने ले लिया है।

 

प्रश्न 2. भोर का नभ  राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है) 

नयी कविता में कोष्ठकविराम-चिह्नों और पंक्तियों के बीच का स्थान भी कविता को अर्थ देता है। उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्ठकों से कविता में क्या विशेष अर्थ पैदा हुआ है समझाइए । 

उत्तर- 

नई कविता में कोष्ठकविराम चिह्नों और पंक्तियों के बीच का स्थान विशेष अर्थ देते हैं। भाव व्यंजना को अधिक स्पष्ट करते हैं। कोष्ठक में लिखा (अभी गीला पड़ा है) यह चौके को वर्तमान स्थिति को इंगित कर रहा है। चौके की ताजगी और स्वच्छता का प्रमाण दे रहा है। विराम चिह्न कार्य या क्रियाकलाप की पूर्णता को सूचित करता है।


उषा कविता अभ्यास के अन्य प्रश्न उत्तर  

प्रश्न 1. अपने परिवेश के उपमानों का प्रयोग करते हुए सूर्योदय और सूर्यास्त का शब्द चित्र खींचिए । 


उत्तर- सूर्योदय प्रात:कालीन सूर्योदय का दृश्य एक नई नवेली ब्याहता (दुल्हन) की तरह है। सूरज का सिडिज से ऊपर आने के समय ऐसा लगता है मानौ नव व्याहता दुल्हन अपने खुले कैश (नीला आकाश) मैं लाल सिंदूर भरी हुई है। अत: आकाश नीली आभा से लालिमायुक्त है। धीरे-धीरे सूरज का ऊपर का जाना ऐसा लगता है मानो स्वर्ण आभूषणों से सुन सुनरी ओढ़नी (चुनरी ओढ़कर खड़ी हो रही सुरकन का सुंदर सुख भी स्वर्ण आभूषणों और सुनहरी चुनरी की आभा से स्वर्ण मुख की तरह दमक रहा हो।

 

सूर्यास्त-

संध्या बेला में तिज में डूबता सूरज पूरी तरह लाल रंग का होता है जो ऐसा लगता है मानी पूरे दिन की थकान से नवब्याहता दुल्हन का सिंदूर पसीने से उसके माँग से बहकर पूरे मुख में फैल गया हो और थकान के कारण मुख लाल होकर सूज गया हो। धीरे-धीरे आराम करने की चाहत में वह नीचे बैठना चाह रही हो।

 

उषा कविता अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 

प्रश्न 1. सूर्योदय से पहले आकाश में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं ? 'उषाकविता के आधार पर बताइए।

उत्तर- सूर्योदय से पहले आकाश का रंग शंख जैसा नीला थाउसके बाद आकाश राख से लीपे चौके जैसा हो गया। सुबह की नमी के कारण यह गीला प्रतीत होता है। सूर्य की प्रारंभिक किरणों से आकाश ऐसा लगता है मानो काली सिल पर थोड़ी लाल कैसर डालकर उसे धो दिया गया हो या फिर काली स्लेट पर लाल खड़िया मिट्टी मत दी गई हो। सूर्योदय के समय सूर्य का प्रतिबिंब ऐसा लगता है जैसे नीले स्वच्छ जल में किसी गोरी युवती का प्रतिबिंव झिलमिला रहा हो।

 

प्रश्न 2. 'उषाकविता में भर के नभ की तुलना किससे की गई है और क्यों ? 

उत्तर- 'उषाकविता में प्रातःकालीन नम की तुलना राख से लीये गए गीले चौके से की गई है। इस समय आकाश नम एवं धुंधला होता है। इसका रंग राख से लीपे चूरहें जैसा मटमैला होता है। जिस प्रकार चूल्हा- चौका सूखकर साफ हो जाता है। उसी प्रकार कुछ देर बाद आकाश भी स्वच्छ एवं निर्मल हो जाता है। 


प्रश्न 3. 'उषाकविता के आधार पर उस जादू को स्पष्ट कीजिएजो सूर्योदय के साथ टूट जाता है।  

अथवा 

"जादू टूटता है इस उपा का अब सूर्योदय हो रहा है।" शमशेर बहादुर सिंह जी की इस पंक्ति में 'जादू टूटता हैका आशय स्पष्ट कर लिखिए। 

उत्तर- 

सूर्योदय से पूर्व उषा का दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है। भोर के समय सूर्य की किरणें के समान लगती हैं। इस समय आकाश का सौंदर्य क्षण-क्षण में परिवर्तित होता रहता है। यह उषा का जादू है। नीले आकाश का शंख-सा पवित्र होनाकाली सिल पर कैंसर डालकर धोनाकाली स्लेट पर लाल खड़िया मल देनानीले जल में गोरी नायिका का प्रतिबिंब आदि दृश्य उषा के जादू के समान लगते हैं। सूर्योदय होने के साथ ही ये दृश्य समाप्त हो जाते हैं।

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